Depression :आजकल युवाओं में डिप्रेशन जैसी बीमारी आम बात हो गयी है.लेकिन आज भी इसके सिम्टम्स को लोग भली भांति नहीं पहचान पाते हैं. भले ही लोग इसे नज़रअंदाज़ कर रहे हो लेकिन साइंटिस्ट लगातार इस पर स्टडी कर रहे हैं और नयी जानकारी सामने ला रहे हैं. हाल ही में एक डिप्रेशन से जुड़ी एक स्टडी सामने आई है जहाँ डिप्रेशन को आपके बॉडी के टेम्प्रेचर से जोड़ा जा रहा है.
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ध्यान रखने से होता है यह फायदा (Depression)
जानकारी के लिए बता दें इस स्टडी में यह बताया गया है कि आपके शरीर का तापमान यह बताता है कि आप डिप्रेशन का शिकार हैं लेकिन इसी बॉडी टेम्प्रेचर का ध्यान रख कर आप अपने मानसिक स्वास्थय को लाभ पहुंचा सकते हैं. सैन फ्रांसिस्को के नेतृत्व वाले एक नए अध्ययन में हाल ही में यह पाया गया है.
वैज्ञानिक शोध क्या कहता है?
एक शोध में यह पाया गया कि डिप्रेशन के रोगियों में तापमान संबंधी असंतुलन देखा गया. यह असंतुलन अधिकतर ठंडे हाथ-पैर, अत्यधिक पसीना आना, और कभी-कभी अचानक गर्मी लगने के रूप में देखा गया. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह समस्या मुख्य रूप से डिप्रेशन की वजह से होती है. इससे व्यक्ति को रात में नींद न आना, थकान महसूस होना, और दिन में सुस्ती आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
शरीर के तापमान से डिप्रेशन का निदान कैसे संभव है?
अभी तक शरीर के तापमान को डिप्रेशन के निदान का प्रमुख कारक नहीं माना गया है, लेकिन भविष्य में यह एक नया तरीका बन सकता है. हालांकि, केवल तापमान के आधार पर डिप्रेशन का पता लगाना संभव नहीं है. अन्य लक्षणों जैसे कि भूख में कमी या बढ़ोतरी, नींद की समस्या, वजन का घटना या बढ़ना, और मानसिक ऊर्जा की कमी को भी देखा जाता है.
शोध आया सामने (Depression)
वैज्ञानिक रिपोर्ट के बारे में बात करें तो यह नहीं बताया गया है कि शरीर का तापमान डिप्रेशन को बढ़ाता है या शरीर तापमान के कारण यह बढ़ती है. साथ ही डिप्रेशन के साथ बढे हुए टेम्प्रेचर के कारण शरीर का तापमान स्वयं को ठंडा करने की क्षमता में कमी, चयापचय प्रक्रियाओं से बढ़ी हुई गर्मी या फिर दोनों ही लक्षण सामने आते हैं.
106 देशों से डेटा हुए कलेक्ट (Depression)
बता दें शोधकर्ताओं ने 20,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया, जिन्होंने शरीर के तापमान को मापने वाला उपकरण पहना था, और हर दिन अपने शरीर के तापमान और बीमारी के लक्षणों की स्वयं रिपोर्ट भी की थी. सात महीने का अध्ययन 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ और इसमें 106 देशों का डेटा शामिल था.
बॉडी टेम्प्रेचर में दिखा था बदलाव (Depression)
परिणामों से पता चला कि बीमारी के लक्षणों की गंभीरता के प्रत्येक बढ़ते स्तर के साथ, प्रतिभागियों के शरीर का तापमान अधिक था जिसके बाद जब बॉडी के टेम्प्रेचर को देखा गया तो आंकड़ों में देखा गया कि डिप्रेशन की जांच का अगर स्कोर किया जाए तो चौबीस घंटों के भीतर उनकी बॉडी में कम उतार चढ़ाव थे. लेकिन जरुरी नहीं यह आंकड़ें सही ही हो.
डॉक्टर्स ने दिए सुझाव (Depression)
अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूसीएसएफ वेइल इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोसाइंसेज में मनोचिकित्सा के एसोसिएट प्रोफेसर, एशले मेसन, पीएचडी ने कहा, निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि डिप्रेशन मेथड ट्रीटमेंट किस तरह से काम करता है. एक छोटे समूह पर स्टडी करने के बाद यह बताया गया कि गर्म टब या स्टीम बात का उपयोग बीमारी को कम कर सकता है, यह शरीर को ठंडा करने में मदद करता है.
यूसीएसएफ ओशर सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव हेल्थ में क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक मेसन ने कहा, “विडंबना यह है कि वास्तव में लोगों को गर्म करने से शरीर का तापमान फिर से कम हो सकता है, जो बर्फ के स्नान के माध्यम से लोगों को सीधे ठंडा करने की तुलना में लंबे समय तक रहता है.क्या होगा अगर हम बीमारी से ग्रस्त लोगों के शरीर के तापमान को समय-समय पर गर्मी-आधारित उपचारों पर अच्छी तरह से ट्रैक कर सकें?”
उपाय और उपचार
- शरीर के तापमान और डिप्रेशन के बीच संबंध को समझने के बाद कुछ चिकित्सक अब डिप्रेशन के उपचार में थर्मल थैरेपी को शामिल कर रहे हैं. यह थेरेपी शरीर को गर्माहट देकर मस्तिष्क की प्रणाली को संतुलित करने का काम करती है. इसके अलावा, नियमित व्यायाम, ध्यान, और योग भी शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है
- सकारात्मक विचारों में बदलने पर काम किया जाता है
- टॉक थेरपी: किसी मनोवैज्ञानिक से बात करके अपनी समस्याओं का हल ढूंढना भी काफी प्रभावी हो सकता है
- इंटरपर्सनल थेरपी (IPT): इसमें संबंधों और सामाजिक भूमिकाओं पर काम करके मानसिक स्थिति को बेहतर किया जाता है
- अरोमा थेरपी: लैवेंडर जैसे आवश्यक तेलों का उपयोग तनाव को कम करने और मूड को बेहतर करने में मदद कर सकता है.
- संगीत और कला: संगीत और कला के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने से मानसिक शांति मिलती है.
- माइंडफुलनेस और मेडिटेशन: ध्यान और माइंडफुलनेस तकनीक से नकारात्मक विचारों को नियंत्रित किया जा सकता है.
- परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना और उनकी सहायता लेना भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है. किसी समूह में शामिल होकर भी डिप्रेशन से लड़ने में मदद मिल सकती है
- नियमित व्यायाम: रोज़ाना हल्के व्यायाम जैसे टहलना, योग, और ध्यान करने से डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार होता है. व्यायाम से एंडोर्फिन का स्त्राव होता है, जिससे मूड में सुधार होता है.
- स्वस्थ आहार: मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को सही बनाए रखने के लिए उचित आहार जैसे हरी सब्जियां, फल, और नट्स लेना फायदेमंद होता है.
- अच्छी नींद: नींद की कमी से तनाव बढ़ सकता है। रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद डिप्रेशन के लक्षणों को कम कर सकती है
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